हर रोज़ दरवाजे

हर रोज़ दरवाजे के नीचे से सरक कर

आती है सारे जहान की ख़बरें…

एक तेरा हाल ही जानना इतना मुश्किल क्यूं है…

मैं पेड़ हूं

मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे ,फिर भी हवाओं से,,
बदलते नहीं रिश्ते मेरे