जिंदगी का मतलब तब पता चलेगा
जब तुम मौत के करीब होगे.
Category: मौसम शायरी
शाम की तनहाईयाँ
ये शाम की तनहाईयाँ, ऐसे में तेरा गम,
पत्ते कही फड़के, हवा आयी तो चौंके हम,
जिस राह से तुम आने को थी, उस के निशान भी मिटने लगे,
आयी ना तुम सौ सौ दफ़ा, आये गये मौसम मीत…
सीने से लगा तेरी याद को, रोता रहा मैं रात को,
हालत पे मेरे चाँद तारे रो गये शबनम…!!
उस को भी
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं
बेपनाह चाहा है
तकदीर को कुछ इस तरह से “अपनाया है मैंने ,
जो “नहीं था “तकदीर में ”
उसे भी “बेपनाह चाहा है मैंने ।।
देखा तो है
करीब से देखा तो है रेत का घर,
दूर से मगर उनकी शान बहुत हैं
मेरी औकात है
किन्ही सज्जन ने बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं…. –
रहता हूं किराये की काया में…
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं….
मेरी औकात है बस मिट्टी
जितनी…
बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं…
जल जायेगी ये मेरी काया ऐक दिन…
फिर भी इसकी खूबसूरती
पर इतराता हूं….
मुझे पता हे मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा…
इसीलिए जमाने में दोस्त बनाता हूँ ….
तेरे जज्बे को सलाम
ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को सलाम . . .
,पता है कि मंजिल मौत है ,
,फिर भी दौड रही है . .
कमबख्त हर बार
शराब और मेरा कई बार ब्रेकअप हो चुका है,
पर कमबख्त हर बार मुझे मना लेती है !!
जो भी मिलता है
कहाँ मिलता है कभी
कोई समझने वाला ,
जो भी मिलता है समझा के
चला जाता है
बसाने की कोशिश
मुझे दिल में बसाने की कोशिश न कर…
मैं ख़याल हूँ मुझे यूँ ही गुज़र जाने दे…