हम भी बहके थे

ज़रा सा हम भी बहके थे,.ज़रा सा दिल लगाया था,
किसी के इश्क़ में पड़कर ये दिल भी मुस्कुराया था…

कभी जो याद ही आये ज़रा सा मुस्कुरा देना,
तुम्हारी याद का आंसू कभी हमने बहाया था….

हमारी मखमली ख्वाहिश यहां पूरा ही दिन तरसी,
ज़रा सा दिल से फिर पूछा पता तेरा बताया था….

मुझे तुम अजनबी कह लो तुम्हे मैं अजनबी कह लूँ,
वो लम्हे पूछते अब हैं क्या मैं इतना पराया था ???

वो मुझसे ही

मेरे करीब आकर, वो मुझसे ही दूर बैठे हैं…!!

नज़रों में है हया, फिर भी बा-गुरूर बैठे हैं…!!