जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं…
बहुत मजबूत रिश्ते थे मेरे,,,
पर बहुत कमजोर लोगों से…
Category: मौसम शायरी
तेरे ख्याल में
तेरे ख्याल में ही गुजर गयी…… वो जो उम्र बड़े काम कि थी…
कहीं धब्बा न लग जाये
कहीं धब्बा न लग जाये तेरी बंदानवाजी पर, मुझे भी देख मुद्दत से तेरी महफिल में रहते है।
हज़ार दर्द हों सीने में
हज़ार दर्द हों सीने में फिर भी हँस देना
सभी के बस का ये कमाल थोड़ी है
ख़ुद की साजिशो में
ख़ुद की साजिशो में उलझा हुआ ….आज बहुत अकेला सा लग़ा खुद को…
इतनी बिखर जाती है
इतनी बिखर जाती है तुम्हारे नाम की खुशबु मेरे लफ़्जों मे..!
की लोग पुछने लगते है “इतनी महकती क्युँ है शायरी तुम्हारी..??
देखे हैं बहुत हम ने
देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के
आग़ाज़ भी रुस्वाई …..अंजाम भी रुस्वाई….
हमारे बाद अंधेरा
हमारे बाद अंधेरा रहेगा महफ़िल में
बहुत चराग़ जलाओगे रौशनी के लिए
तुमको दे दी है
तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैंने….
मांगने से ना मिलूं तो चुरा लो मुझको….
मुझे शायद सूरत देखकर
मुझे शायद सूरत देखकर ही प्यार करना था
दिल देख के प्यार करने का नतीजा भुगत लिया मैने !!