क्या करना करेडों का, जब अरबो का बापू साथ है ।
Category: मौसम शायरी
पापा आपके नाम से
पापा आपके नाम से ही जाना जाता हूँ
इस तरह से कोई शायरी है कृपया भेजें|
आवाज़ बर्तनों की
आवाज़ बर्तनों की घर में दबी रहे,
बाहर जो सुनने वाले हैं, शैतान हैं बहुत….
ऐसी भी अदालत है
ऐसी भी अदालत है जो रूह परखती है,
महदूद नहीं रहती वो सिर्फ़ बयानों तक
प्यार की फितरत भी
प्यार की फितरत भी अजीब है यारा..
बस जो रुलाता है उसी के गले लग कर रोने को दिल चाहता है
संभाल के रखना
संभाल के रखना अपनी पीठ को यारो….
“‘शाबाशी'”और ‘खंजर’ दोनो वहीं पर मिलते है ….
मत पूछ मेरे जागने की
मत पूछ मेरे जागने की बजह ऐ-चांद,
तेरा ही हमशक्ल है वो जो मुझे सोने नही देता….
घुट घुट के जीता रहे
घुट घुट के जीता रहे फ़रियाद न करे,
लाएँ कहाँ से, ऐसा दिल तुम्हें याद न करे…
दाद न देंगे तो
दाद न देंगे तो भी शेर बेहतरीन रहेंगे
सजदा न भी करे ख़ुदा ख़ुदा ही रहेंगे…
पानी भी क्या अजीब चीज़ है
पानी भी क्या अजीब चीज़ है नजर उन आँखों में आता है जिनके खेत सूखे हैं