मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए……
जैसे रूह को शुकुन चाहिए.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए……
जैसे रूह को शुकुन चाहिए.
बदनसीब मैं हूँ या तू हैं, ये तो वक़्त ही बतायेगा…बस इतना कहता हूँ,अब कभी लौट कर मत आना…
मौसम की पहली बारिश का शौक तुम्हें होगा.
हम तो रोज किसी की यादो मे भीगें रहते है..!
चाँदी उगने लगी हैं बालों में
उम्र तुम पर हसीन लगती है|
ये मुहब्बत की तोहीन है…
चाँद देखूँ तुम्हें देखकर…
चूम लेता है झूठे तमगे
जीत के भी हार जाता है
मौत तो कई दफा होती है
जनाजा मगर एक बार जाता है|
अक्सर वही रिश्ते टूट जाते हैं….
जिसे सम्भालनें की अकेले कोशिश की जाती है…
क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के…कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के…
तुझे अपनी खूबसूरती पर इतना गुरूर क्यों है
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लगता है तेरा आधार कार्ड अभी तक बना नही
सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।