मै फिर से गिरूंगा ये ग़लतफ़हमी दूर कर लो
वो दिल की गलती थी की हम लडखडा से गए थे..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मै फिर से गिरूंगा ये ग़लतफ़हमी दूर कर लो
वो दिल की गलती थी की हम लडखडा से गए थे..
आज कल खुद से बातें करता हूँ ..
ये सोच कर के तुम सुन रही हो..
रोकना मेरी हसरत थी और
जाना उसका शौक..
वो शौक पूरा कर गई मेरी
हसरतेँ तोड़ कर.!
हद से बढ़ जाये तालुक तो गम मिलते हैं.. हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते हँ..
अपने अहसासों को ख़ुद कुचला है मैंने,
क्योंकि बात तेरी हिफाज़त की थी.!
मैं आज़ाद हूँ
बस उस लम्हे तक
जब तक तुम्हारा ख़्याल न आये….
लौट आया हूँ मैं फिर ख़ामोशी की क़ैद में … !
.तुम्हें दिल से आवाज़ देने की यही सजा हैं मेरी…
खरीद लेंगे सबकी सारी उदासियाँ, दोस्तों…
सिक्के हमारे हिसाब से, चलने लगेंगे जब…!!!
शब्द तो सारे के सारे सुरक्षित हैं …
बस भावनाओं का वाष्पीकरण हो गया है
तुम्हारे खतो से…
मुझे पत्थर बनाने में उसका बड़ा हाथ है,
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जिसे मैं कभी फ़ूल दिया करता था..