हूँ जन्म से

हूँ जन्म से ही जिस्म में अपने किरायेदार… मेरा सफ़र है इस मकान से उस मकान तक…

जब भी देखता हूँ

जब भी देखता हूँ खूबसूरत लड़कियो को, याद आती है वो….कभी एक खूबसूरत लड़की पर हक़ मेरा भी था !!

तुम तमाशा समझती

तुम तमाशा समझती हो खुदारा ज़िन्दगी है मेरी…

एहसास थोड़े कम लिखूंगा

एहसास थोड़े कम लिखूंगा अब से…! क्यू कि दिल को शिकायत है कि मैं चुगली करने लगा हूँ….!!

यह भी नहीं कि

यह भी नहीं कि मेरे मनाने से आ गया जब रह नहीं सका तो .. बहाने से आ गया

एक उम्र के बाद

एक उम्र के बाद उस उम्र की बातें, उम्र भर याद आती है…

मुझे पूरा तोड़ देता है

मुझे पूरा तोड़ देता है, तेरा आधे मन से बात करना…

करूँ ना याद मगर

करूँ ना याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे *गज़ल बहाना करूँ और गुनगुनाऊँ उसे|

इश्क़ होना भी

इश्क़ होना भी लाज़मी है… शायरी लिखने के लिए…! वरना…. कलम ही लिखती… तो हर दफ्तर का बाबू ग़ालिब होता…!!

कुछ तबियत भी रही थी

कुछ तबियत भी रही थी ऐसी चैन से जीने की सूरत न रही जिसको चाहा उसे अपना न सके जो मिला उससे मुहब्बत न हुई…

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