ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे
को सलाम…
मंजिल पता है के मौत है
फिर भी दौड रही है….।।
Category: बेवफा शायरी
हवा के दोश पे
हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम..जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी
…!!!
थोड़ी सी वफ़ा चाहिए
रिश्ता निभाना मुश्किल नहीं,
बस थोड़ी सी वफ़ा चाहिए|
बयाँ कैसे करूँ
बयाँ कैसे करूँ में अपने उजड़ने की दास्ताँ,आज भी फ़िक्र ने तेरी मुझे बेजुबां बना दिया|
माना उन तक
माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी,
मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम…
अपने एहसास से
अपने एहसास से छू कर मुझे चन्दन कर दो
में सदियों से अधूरा हूँ , मुझे मुकम्मल कर दो|
बेखुदी बे सवब नहीं
बेखुदी बे सवब नहीं गालिब,
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।।
मुझे भी सिखा दो
मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर..
मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हें याद करते करते. .!
छत पर आकर
छत पर आकर वो फिर से मुस्कुरा के चली गईं, दिल पहले से हाईजैक था, मुर्दे दिमाग में भी लालटेन जला के चली गईं।
सोचा बहुत इस बार
सोचा बहुत
इस बार
रोशनी नहीं
धुआं दूंगा
लेकिन चिराग था
फितरत से,
जलता रहा जलता रहा|