बंद कर दिया

इश्क का धंदा ही बंद कर दिया साहीब मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल

उम्र भर की

उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में.. एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया

हुआ मैं जब से

हुआ मैं जब से अपने सच से वाक़िफ तभी से खुद को झूठा लग रहा हूँ ।

मोहब्बत थी तो

मोहब्बत थी तो चाँद अच्छा था, उतर गई तो दाग भी दिखने लगे !!

तेरी यादें हर रोज़

तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास, लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको..!!

किसे मालूम था

किसे मालूम था इश्क इस क़दर लाचार करता है, दिल उसे जानता है बेवफा मगर प्यार करता है…

वक़्त बदल देता है

वक़्त बदल देता है मसले सारे, जिससे हँसते थे उसका ख्याल रुला देता है।

वो भी क्या ज़िद थी

वो भी क्या ज़िद थी, जो तेरे मेरे बीच इक हद थी ! मुलाकात मुकम्मल ना सही, मुहब्बत बेहद थी…!!

कैसी बातें करते हो

कैसी बातें करते हो साहब मैं लफ़्ज़ों से भी ना खेलूँ , ज़माना तो दिलों से खेलता है…

गुमसुम यादें

गुमसुम यादें, सूने सपने, टूटती-जुड़ती उम्मीदें .. डरता हूँ, कैसे कटेगा, उमर है कोई रात नहीं ..

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