मुझसे मिलना है

मुझसे मिलना है तो मिल आके फ़क़ीरों की तरह, मुझसे मिलने के लिए ख़ुद् को सिकन्दर न बना.. !!

तू भले ही

तू भले ही रत्ती भर ना सुनती है मै तेरा नाम बुदबुदाता रहता हूँ

तुम इतने कठिन क्यूँ हो

तुम इतने कठिन क्यूँ हो की मैं तुम्हे समझ नहीं पाता, थोड़े से सरल हो जाओ सिर्फ मेरे लिए !!

रब के फ़ैसले पर

रब के फ़ैसले पर भला कैसे करुँ शक, सजा दे रहा है ग़र वो कुछ तो गुनाह रहा होगा !!

तुम्हारा साथ भी छूटा

तुम्हारा साथ भी छूटा , तुम अजनबी भी हुए मगर ज़माना तुम्हें अब भी मुझ में ढूंढता है !!

हाथ पकड़ कर

हाथ पकड़ कर रोक लेते अगर,तुझपर ज़रा भी ज़ोर होता मेरा, ना रोते हम यूँ तेरे लिये, अगर हमारी ज़िन्दगी में तेरे सिवा कोई ओर होता !

तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए…

तुम मेरे लिए रेत क्यों हुए…पहाड़ क्यों न हुए ? तुम मेरे लिए पहाड़ क्यों हुए…रेत क्यों न हुए ? रेत…पहाड़…मैं…सब वही सिर्फ… “तुम” बदल गए पहली बार भी और फिर…आखिरी बार भी…

मुहब्बत से तौबा तो कर

मुहब्बत से तौबा तो कर चुके हैं मगर थोडा जहर ला के दे दो आज तबियत उदास है|

हमारी शायरी पढ़ कर

हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो कलम छीन लो इनसे .. ये लफ्ज़ दिल चीर देते है …..

यूँ ना खींच मुझे

यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के, ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले .!

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