न हथियार से

न हथियार से मिलते हैं न अधिकार से मिलते हैं….!!

दिलों पर कब्जे बस अपने व्यवहार से मिलते है….!!

मेरे दिल से

मेरे दिल से निकलने का रास्ता भी न ढूंढ सके,

और कहते थे तुम्हारी रग-रग से वाकिफ़ है हम..

आज तो हम

आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें,
सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!

टपक पड़ते है

टपक पड़ते है आंसू जब तुम्हारी याद आती है,
ये वो बरसात है जिस का कोई मोसम नहीं होता!!

खुश नसीब होते हैं

खुश नसीब होते हैं बादल,
जो दूर रहकर भी ज़मीन पर बरसते हैं,
और एक बदनसीब हम हैं,
जो एक ही दुनिया में रहकर भी.. मिलने को तरसते हैं…