समंदर ने कहा मुझको बचा लो डूबने से…
मैं किनारे पे समन्दर लगा के आया हूँ…
Category: बेवफा शायरी
उसके जैसी कोई
उसके जैसी कोई दूसरी कैसे हो सकती है,
अब तो वो खुद भी खुद के जैसी नहीं रही !!
आ बैठ मेरे पास
आ बैठ मेरे पास
बरबाद अब कुछ
रातें करते हैं
बन जा तू शब्द मेरे
फिर दिल की,
दिल से
कुछ बातें
करते हैं……
जो कोई समझ न सके
जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम,
जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम,
छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर,
जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।
कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब
कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये !
पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे
धीमी-धीमी नस चलें
धीमी-धीमी नस चलें, रुक-रुक करके श्वास।
जीने की अब ना रही, थोड़ी सी भी आस।।
न रुकी वक़्त की गर्दिश
न रुकी वक़्त की गर्दिश और न ज़माना बदला……
पेड़ सूखा तो परिन्दों ने भी ठिकाना बदला……
यूँ तो जिंदगी तेरे सफर से
यूँ तो जिंदगी तेरे सफर से शिकायतें बहुत थी…
दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारें बहुत थी…!!
देख कर उसकी आँखो में
देख कर उसकी आँखो में अपने नाम की मायूसी…
दिल रोया तो नहीँ पर फ़िर कभी हँसा भी नहीँ…
सिर्फ तेरी यादे है
हमारे पास तो सिर्फ तेरी यादे है, जिंदगी तो उसे मुबारक हो, जिसके पास तू है ….