कभी अपनी हथेली पर

कभी अपनी हथेली पर.. केवल दस मिनट के लिए बर्फ का टुकड़ा रखियेगा..

आपको हनुमनथप्पा के साहस का अनुमान हो जायेगा…।”
मुझे भी.. शब्दवीर बनने का शौक है, लेकिन आज.. मैं.. नि:शब्द हूँ…।

तेरी रहमत है

तू मुझे नवाजता है,
ये तो तेरी रहमत है मालिक;,,

वरना तेरी रहमत के काबिल,
मेरी इबादत कहा