सिर्फ ख़ुशी में आना तुम.
अभी दूर रहो थोड़ा परेशां हूँ मैं ..
Category: बेवफा शायरी
जगह ही नहीं है
जगह ही नहीं है दिल में अब दुश्मनों के लिए,
कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है !!
ऐसे माहौल मे…
ऐसे माहौल मे…दवा क्या है..?दुआ क्या है..??
जहा कातिल ही… खुद पूछें..हुआ क्या है..?हुआ क्या है
बरसात के मकोड़े
बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते है…
की…….जिनके पंख लग जाते है वो कुछ ही दिनों के मेहमान होते है ।!
मैं मुसाफिर हूँ
मैं मुसाफिर हूँ ख़ताऐं भी हुई हैं मुझसे ……!!!
तुम तराज़ू में मेरे पाँव के छाले रखना ……!!!
इस तरह ज़िन्दगी में
इस तरह ज़िन्दगी में मुझे तेरा साथ चाहिये,
जैसे बच्चे को भीड़ में एक हाथ चाहिए.
उम्मीदों से बंधा
उम्मीदों से बंधा एक जिद्दी परिंदा है इंसान,
जो घायल भी उम्मीदों से है और जिन्दा भी उम्मीदों पर है…
चखे हैं जाने कितने
चखे हैं जाने कितने जायके महंगे मगर ऐ माँ,
तेरी चुल्हे की रोटी सारे पकवानो पे भारी है…
खुल जाती हैं
खुल जाती हैं गाँठें बस जरा से जतन से,
मगर लोग कैंचियां चलाकर सारा फ़साना बदल देते हैं…!!!!
नाराज़गी बहुत है
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान…!!!
वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा…!!!