जानता था की वो धोखा
देगी एक दिन पर चुप रहा..
.
क्यूंकि उसके धोखे में जी
सकता हूँ पर उसके बिना नहीं…
Category: बेवफा शायरी
मरहम न सही
मरहम न सही कोई ज़ख्म ही दे दो ऐ ज़ालिम, महसूस तो हो कि तुम हमें अभी भूले नहीं हो यार|
ना किया कर
ना किया कर अपने दर्द को शायरी में बयान ऐ दिल…..
कुछ लोग टूट जाते हैं इसे अपनी दास्तान समझकर…….
मरीज़-ए-इश्क़
मरीज़-ए-इश्क़ हूँ तेरा, तेरा दीदार काफी है….
हर एक नुस्खे से बेहतर, निगाह-ए-यार काफी है !
हवा से चोट लगती है..
मुहबबत से..इनायत से..वफा से..चोट लगती है..
बिखरता फूल हूँ मुझको हवा से चोट लगती है..
खामोश सा माहौल
खामोश सा माहौल और बेचैन सी
करवट है ना आँख लग रही है और
ना रात कट रही है …. !!
भले ही लोग मुझे
भले ही लोग मुझे याद रखें कहके शायर,पर अल्फ़ाज़ों के राज़ मेरे मालूम हैं मुझे..
बेवफा से भी
बेवफा से भी प्यार होता है ।
यार कुछ भी हो यार होता ।।
जो हखीकत मे प्यार होता है।
ऊमर मे एक बार होता है।।
मेरे दिल में
मेरे दिल में उसकी हर गलती माफ हो जाती हैं,,
जब वो मुस्करा के पूछती हैं, नाराज़ हो क्या…?
अँधेरे ही थे
अँधेरे ही थे मेरे अपने भी अब रौशनी पाने को जी चाहता है
रहो में भटक रहा था में अब तक अब अपनी मंजिल पाने को जी चाहता है।