वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं…
पैसे वाले की बेटी..
रात के आठ बजे कही जाए..
तो “चलन” है…!
गरीब की बेटी…
अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए..
तो “बदचलन” है..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं…
पैसे वाले की बेटी..
रात के आठ बजे कही जाए..
तो “चलन” है…!
गरीब की बेटी…
अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए..
तो “बदचलन” है..!!
दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो…
एक ” कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है …!!
धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों से भरी हो ॥
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से भरी हो ॥
कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की…
महेंगे ‘कपडे’ तो,’पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !!..
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!
हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते,
अगर ज़मीर की चिड़िया हलाल कर देते।
किसी भी पेड़ के कटने का आज क़िस्सा न होता,
अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा न होता…!!
जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की…
हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है
रोटियों का स्वाद कुछ ‘बेहतर’ लगा..
आज खेतों में एक किसान को ‘मेहनत’ करते देखा था..!!
आसमां में मत दूंढ अपने सपनो को,
सपनो के लिए तो ज़मी जरूरी है,
सब कुछ मिल जाए तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिये एक कमी भी जरूरी है