छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
कितने संगदिल हैं वो, मुझे बेज़ार रुलाने वाले…
देखो चैन से सो रहे हैं मुझे उम्र भर जगाने वाले…
ये जो मेरे दिल की लगी है…
बस यही तो बर्बाद ज़िंदगी है…
हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे
क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए|
चल पडी है मेरी दुआए असर करने को….
तुम बस मेरे होने की तैयारी कर लो…!!
मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से
जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ|
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते|
गुमान न कर अपनी खुशनसीबी का..
नशीबी मे होगा तो तुझे भी इश्क होगा..
मत पुछ हमारे ऐतबार की हद तेरे एक इशारे पे..
हम काग़ज़ की कश्ती ले कर समंदर में उतर गये थे..
बस इतनी सी बात
समंदर को खल गई
एक काग़ज़ की नाव मुझपे कैसे चल गई..