ना आसूंओं से

ना आसूंओं से छलकते हैं ना कागज पर उतरते हैं..*

*दर्द कुछ होते हैं ऐसे जो बस भीतर ही भीतर पलते है..

वो आँख भी

वो आँख भी मिलाने की इजाजत नहीं देते

और

ये दिल उनको निगाहों में

बसाने पे तुला है !