तोहफ़े लेने-देने का रिवाज

किसने चलाया ये तोहफ़े लेने-देने का रिवाज..गरीब आदमी मिलने-जुलने से भी डरता है..!

एहसान ये रहा मुझ पर

एहसान ये रहा मुझ पर तोह़मत लगाने वालों का उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया!!

क्यों बताये किसी को

क्यों बताये किसी को हाले दिल अपना, जो तूने बनाया वही हाल है अपना ।।

यूँ भूल जाना मुझको

उफ्फ तेरा अक्सर यूँ भूल जाना मुझको अगर दिल ना दिया होता तो तेरी जान ले लेते…!!

वो तेरी गली का

वो तेरी गली का तसव्वुर वो नज़र नज़र पर पहरे… वो मेरा किसी बहाने तुझे देखते गुज़रना…!

जुड़ना सरल है

जुड़ना सरल है… पर जुड़े रहना कठिन….

आज इत्ती ज़ोर से

आज इत्ती ज़ोर से हिचकी आ रही है, जैसे कोई जान से मारने के लिए याद कर रहा हो..

अनजाने शहर में

अनजाने शहर में अपने मिलते है कहाँ डाली से गिरकर फूल फिर खिलते है कहाँ . . . आसमान को छूने को रोज जो निकला करे पिँजरे में कैद पंछी फिर उड़ते है कहाँ . . . दर्द मिलता है अक्सर अपनो से बिछड़कर टूट कर आईने भला फिर जुड़ते है कहाँ . . .… Continue reading अनजाने शहर में

आदत पड गयी है

आदत पड गयी है सभी को प्यार अब हर किसी को कहां होता है ??

अगर कसमें सच्ची होती

अगर कसमें सच्ची होती, तो सबसे पहले खुदा मरता..

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