उसने चुपके से मेरी आँखों पे हाथ रखकर पूछा…..बताओ कौन..???
..मै मुस्कराकर धीरे से बोला..”जिन्दगी मेरी”
Category: प्यार शायरी
घर की इस बार
घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा
ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है..
ख्वाहिशों की दुकान
ख्वाहिशों की दुकान पर आँखें मूंद खड़े रहना,
मुश्किल बहुत है….बड़े होकर बड़े रहना
हर एक बात के
हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस ने
जो ख़ास बात थी हर बार हँस के टाल गया..
बंध जाये किसी से
बंध जाये किसी से रूह का बंधन,
तो इजहारे-ए मोहब्बत को अल्फाजो को जरूरत नही होती।
मोहब्बत का वो अंदाज़
मोहब्बत का वो अंदाज़ बड़ा निराला रखते है ,,तोड़ के शाख़ से गुलाब किताब में सुखा कर रखते है
सिमटते जा रहे हैं
सिमटते जा रहे हैं दिल और ज़ज्बातों के रिश्ते ।
सौदा करने में जो माहिर है बस वही कामयाब है।
चंद खाली बोतलें
चंद खाली बोतलें चंद हसीनो के खतूत
बाद मरने के, मेरे घर से ये सामां निकला।
साज़िशें लाखों बनती हैं
साज़िशें लाखों बनती हैं, मेरी हस्ती मिटाने की! बस दुआएँ मेरी माँ की, उन्हें मुकम्मल होने नहीं देतीं।
वो चूड़ी वाले को
वो चूड़ी वाले को अपनी पूरी कलाई थमा देते है
जिनकी हम आज तक उंगलिया छूने को तरसते हैं|