अब ना रही

मुझमे मासूमियत अब ना रही जनाब…
मैने बचपन के ख्वाब बड़े होकर टुटते देखे है|

लफ़्ज़ों पे वज़न

लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब… हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं….

हर लम्हे को कैद हैं

हर लम्हे को कैद हैं इन आँखों में
ये रात की ख़ामोशी में दिखाई देते हैं
लेकिन ये सूरज की किरणें हमें
आने वाले पल का संकेत देती हैं
खुली बाहों से इनका सत्कार करो
यही तो जीवन में रंग भरती हैं |

उस के सिवाय

उस के सिवाय किसी और को चाहना मेरे बस मैं है ही नही, ये दिल उसका है, अपना होता तो बात और थी.|