धुप से जल कर मरा है वो,
कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
धुप से जल कर मरा है वो,
कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!
ज़माने के लिए तो कुछ दिन बाद होली है..
लेकिन मुझे तो रोज़ रंग देती हैं यादें तेरी..!!
दिमाग का दिल से अगर वास्ता नहीं होता !
क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता…!!
कितनी शिद्दत से तराशा था उस शख्स
का किरदार हमने..,.
जब हुआ मुक्कमल तो हमे ही पहचानना
भूल गया…..
कदर कर लो उनकी जो तुमसे
बिना मतलब की चाहत करते हैं…
दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और
तकलीफ देने वाले ज़्यादा होते है..!
मैं याद तो हूँ उसे,
पर ज़रूरत के हिसाब से।
मेरी हैसियत,
कुछ नमक जैसी है।
दोहरी हुकूमत जताना कोई तुमसे सीखे,खुद तो बात करेंगे नहीं…….
उस पर मेरा रूठना भी बर्दाश्त नहीं ।।
जो नहीं है हमारे पास वो ख्वाब हैं,
पर जो है हमारे पास वो लाजवाब हैं…
मेरा खुदा एक ही है….
जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला
भटक गया था मै….
जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
जब जब भी मै आपका ज़िक्र नही करता तब तब लफ़्ज़ों का मुझसे यूँ रूठ जाना|