आसमाँ की ऊंचाई नापना छोड़ दे
ए दोस्त….
ज़मीं की गहराई बढ़ा…
अभी और नीचे गिरेंगे लोग
Category: प्यार शायरी
संग ए मरमर से तराशा खुदा ने
संग ए मरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को,
बाकी जो पत्थर बचा उससे तेरा दिल बना दिया
इज़हार-ए-याद करुँ
इज़हार-ए-याद करुँ या पूछूँ हाल-ए-दिल उनका,
ऐ दिल कुछ तो बहाना बता उनसे बात करने का
तुझसे बिछडकर ना देखा
तुझसे बिछडकर ना देखा गया मिलाप किसी का,
तट पर बैठे सभी परिंदें उडा़ दिए हमने।
दिल❤बेजुबान है
दिल
❤
बेजुबान है तो क्या …..?
तुम यूँ ही तोड़ते
?
रहोगे ……?
दोनों आखों मे अश्क
दोनों आखों मे अश्क दिया करते हैं
हम अपनी नींद तेरे नाम किया करते है
जब भी पलक झपके तुम्हारी समझ लेना
हम तुम्हे याद किया करते हैं
यूँ तो शिकायतें
यूँ तो शिकायतें तुझसे सैंकड़ों हैं मगर,
तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये…
बहोत कुछ छूट
बहोत कुछ छूट जाता है… “कुछ” पूरा करने में…
झूठ, लालच और फरेब
झूठ, लालच और फरेब से परे है, खुदा का शुक्र है आयने आज भी खरे है.”
जब वक़्त करवट लेता हैं
जब वक़्त करवट लेता हैं ना, दोस्तों…!!
…तो बाजियाँ नहीं, जिंदगियाँ पलट जाती है..!