मेरे दिल से निकलने का रास्ता भी न ढूंढ सके,
और कहते थे तुम्हारी रग-रग से वाकिफ़ है हम..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरे दिल से निकलने का रास्ता भी न ढूंढ सके,
और कहते थे तुम्हारी रग-रग से वाकिफ़ है हम..
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी|
हुस्न और इश्क बहुत रोये गले मिल मिल कर…!!
जाने क्या कह दिया दीवाने ने दीवाने से….
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मैं,
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नहीं।।
वाह रे जिन्दगी !
भरोसा तेरा एक पल का नहीं;
और नखरे तेरे,
मौत से भी ज्यादा ।
मुफ्त में नहीं आता, यह शायरी का हुनर….
इसके बदले ज़िन्दगी हमसे,
हमारी खुशियों का सौदा करती है…!!
जो मिलते हैं,
वो बिछड़ते भी हैं,
हम नादान थे…!!
एक शाम की, मुलाकात को,
जिंदगी समझ बैठे…!!
तुम आओ और कभी दस्तक दो इस दिल पर,..!! प्यार उम्मीद से कम निकले तो सज़ा-ऐ-मौत दे देना…!!
हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो,
गुज़रे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया !!
उम्र भर उठाया बोझ उस कील ने…
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे….