मैं बस दो बातों से डरता हूँ एक तेरे रोने से,
दूसरा तेरे को खोने से…॥
Category: प्यार शायरी
मुझे मालूम है
मुझे मालूम है की ये ख्वाब झूठे है और ख्वाहिशें अधूरी है,
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियाँ भी जरूरी है…॥
उस शहर में
उस शहर में जीने की सज़ा काट रहा हूँ
महफ़ूज़ नहीं है जहाँ अल्लाह का घर भी
बात समझ लेती थी
जब सिर्फ ” हूँ ” , “हां ” करता था तू , तो- मै -तेरी हर बात समझ लेती थी..!!
आज जब बड़ा हो गया है तू तो कहता है, ..”माँ तू कुछ नहीं समझती है”..!!
हमारी शक्सियत का
हमारी शक्सियत का अंदाजा तुम
क्या लगाओगी पगली
के लोग रात को निंद से हमें जगाकर कहते है
दिल टुटा है यार एक शायरी तो कर…
हासिल होने की
हासिल होने की उम्मिद ना-उम्मिद है,
फिर भी दिल वफा करता रहा सिर्फ तेरे लब्ज़ों के दम पर।
मुझे पता है
मुझे पता है मेरी खुद्दारी तुम्हे खो देगी
में भी क्या करू मुझे मांगने की आदत नही
Wo waqt guzar gaya
Wo waqt guzar gaya, jab mujhe teri mohobbat ki aarzoo thi…
Ab tu Khuda bhi ban jaye, to main tera sajdaa na karoo…
आँखों में थी
खूबसूरती देखने वाले की आँखों में थी ।
आईना यूँ ही करता रहा ख़ुद पे ग़ुरूर उम्र भर ।
Hazaron peer
Hazaron peer badlay hain
Tera saaya nahi jaataa