अक्ल बारीक हुई

अक्ल बारीक हुई जाती है, रूह तारीक हुई जाती है।

आईना आज फिर

आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया, दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया|

पता है जिसको

पता है जिसको मुस्तकबिल हमारा  वो अपने आज से अनजान क्यूँ है|

धुप में रहने वाले

धुप में रहने वाले जल्दी निखर जाते है, छाया में रहने वाले जल्दी बिखर जाते है !!

तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारे जाने के बाद सुकून से सो नहीं पाया कभी. मेरी करवटों में रेगिस्तान सा खालीपन पसरा रहता है जब तुम पास होते हो तो कोई शिकायत नहीं होती किसी से भी.

मुझसे मिलने को

मुझसे मिलने को करता था बहाने कितने, अब मेरे बिना गुजारेगा वो जमाने कितने !!

उम्दा सारी आदतें

उम्दा सारी आदतें, फूटे हुए नसीब। कच्चे धागे से हुई, माला बेतरतीब।।

लफ़्ज़ों ने बहुत

लफ़्ज़ों ने बहुत मुझको छुपाया लेकिन…. उसने मेरी नज़रों की तलाशी ले ली

हर पल खुश रहूं

हर पल खुश रहूं ऐसा हो नहीं सकता, यादें भी आखिर कोई चीज़ हुआ करती हैं|

इस दिल में

इस दिल में और कांटे चुभने से पहले, ज़रा एक बार देख लो, कितना कांटे पहले ही चुभा चुकी है ये दुनिया, तेरा ये काँटा कही आखरी न हो…..

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