दिल पे क्या गुज़री

दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने,
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने;

हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का;
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने……

कर लेता हूँ

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ!
की खुदा नूर भी बरसाता है, आज़माइशों के बाद !!

फिर न सिमटेगी

फिर न सिमटेगी मोहब्बत जो बिखर जायेगी !

ज़िंदगी ज़ुल्फ़ नहीं जो फिर से संवर जायेगी !

थाम लो हाथ उसका जो प्यार करे तुमसे !

ये ‪‎ज़िंदगी‬ फिर न मिलेगी जो गुज़र जायेगी !!