वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर,
बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।
Category: प्यारी शायरी
वो अनजान चला है जन्नत
वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर,
बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।
वो अनजान चला है जन्नत
वो अनजान चला है जन्नत को पाने के खातिर,
बेख़बर को इत्तलाह कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।
एक अजीब सी जंग छिड़ी है
एक अजीब सी जंग छिड़ी है रात के आलम में..
आँख कहती है सोने दे और दिल कहता है रोने दे..
हसीना ने मस्जिद के सामने
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा,
पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया….
खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार
खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार सुबह-सुबह ???
? और मेरा दिन इसी रौनक में गुजर जाता है !!???
जो तू कर ले वादा मेरी
जो तू कर ले वादा मेरी ख़ामोशी को पढ़ने का,
खिलौने की तरह बेआवाज़ होने को तैयार हूँ मैं..
सुनकर ज़माने की बाते
सुनकर ज़माने की बाते, तू अपनी अदा मत बदल…
यकीन रख अपने खुदा पर,यु बार बार खुदा मत बदल…!!
शर्त लगी थी दुनिया की ख़ुशी
शर्त लगी थी दुनिया की ख़ुशी को
एक लफ़्ज़ मे लिखने की….
वो किताबे ढुँढते रह गये
मैंने “बेटी” लिख दिया……!!!
हमसे क्या पूछते हो
हमसे क्या पूछते हो हमको किधर जाना है हम तो ख़ुशबू हैं बहरहाल बिखर जाना है