मंज़िले तो कब से

मंज़िले तो कब से हाथ फैलाये खड़ी है,उन्हें बस तेरी रवानगी की जरुरत है,

बस याद रखना है मेरे यार इतना ,ये वो राहें है, जिन्हें तेरी दीवानगी की जरुरत है|

वक़्त की रफ़्तार

वक़्त की रफ़्तार रुक गई होती;
शर्म से आँखे झुक गई होती;
अगर दर्द जानती शमा परवाने का;
तो जलने से पहले बुझ गई होती।