आइना भी भला कब किसी
को सच बता पाया है,
जब भी देखो दायाँ तो
बायां ही नज़र आया है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आइना भी भला कब किसी
को सच बता पाया है,
जब भी देखो दायाँ तो
बायां ही नज़र आया है|
उसको बेवफा कहकर
अपनी ही नजर में गिर जाते है हम,
वो प्यार भी अपना था और
वो पसंद भी अपनी थी |
दिलकश नजारों को नजरों में समेट लूँ,
चाँदनी के नूर में इस रूह को लपेट लूँ|
किसी और के दीदार के लिए
उठती नहीं ये आँखे,
बेईमान आँखों में
थोड़ी सी शराफ़त
आज भी है|
कुछ लोग तो आपसे सिर्फ
इसलिए भी नफरत करते हैं..
क्योंकि,बहुत सारे लोग
आपसे प्यार करते हैं…
शाम हुई हम आकर बैठे
फिर तेरी तस्वीर के पास.,
जैसे ग़ज़लें जा कर बैठें
अपने अपने मीर के पास|
दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो।।
बच्चे को बच्चा रहने दो ||
चांदी की दीवार ना तोड़ी
प्यार भरा दिल तोड़ दिया |
ए सुनों,
हर किसी को कहना का सलीक़ा नहीं आता,
और तुम हसँते हुए भी बहती आँखों से कह दिया करते हो!
बे मौत ना मारे फ़लक आदमी ही क्या,
वो गम नहीं जो मौत से पहले न मार दे |