तेरे नाम से ही जाना जाता हु मैं
न जाने ये शोहरत है या बदनामी।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे नाम से ही जाना जाता हु मैं
न जाने ये शोहरत है या बदनामी।।
ये इश्क तो बस एक अफवाह है..
दुनिया में किसको किसकी परवाह है..
उठाइये
हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था|
परवाह दिल से की जाती है,
दिमाग से तो बस इस्तमाल होता है|
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का…..
जिसका जितना दर्द बुरा, शायरी उतनी ही अच्छी….
ख़ता ये हुई,तुम्हे खुद सा समझ बैठे
जबकि,तुम तो…‘तुम’ ही थे
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,
चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है।
दरख़्त ऐ नीम हूँ, मेरे नाम से घबराहट तो होगी,
छांव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी.
मेरी न सही तो तेरी होनी चाहिए….
तमन्ना किसी एक की तो पूरी होनी चाहिए…!!
बहुत सी निशानियाँ हैं मेरे पास भी
मुहोब्बत की..!!
ताज महल का तो नाम उङा रखा है
लोगों ने..!