माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में…
मुझे बहुत प्यारी है तुम्हारी दी हुई हर एक निशानी,
चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखों का पानी !!
ख़ुशी मेरी तलाश में
दिन रात यूँ ही भटकती रही..
कभी उसे मेरा घर ना मिला,
कभी उसे हम घर पे ना मिले….!!
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ,
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ….
बस एक बार निकाल दो इस इश्क से ए खुदा, फिर जब तक जीयेंगे कोई खता न करेंगे..!!
तजुर्बा एक ही काफी था ,बयान करने के लिए ,
मैंने देखा ही नहीं इश्क़….. दोबारा करके…..!!!
अंगुलिया टूट गई पत्थर तराशते तराशते जब बनी सूरत यार की.. तो खरीददार आ गये !!!
मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते हैं
मैं रो पड़ूँ तो कई लोग मुस्कराते हैं…
मैं क्यों कहूँ उससे की मुझसे बात करो,
क्या उसे नहीं मालूम की उसके
बिना मेरा दिल नहीं लगता ..
यादों की मधुमक्खियां डंसती रहीं
वो गया जो छत्ते पे पत्थर मार कर|