यही
बहुत है तूने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यही
बहुत है तूने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
अगर
तुम वजह ना पूछो तो एक बात कहूँ!!!
बिना याद किये तुम्हें अब
रहा नहीं जाता है
मुंसिफ़
हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा
क्यूँ नहीं देते
रोने में
इक ख़तरा है, तालाब नदी हो जाते हैं
हंसना भी आसान नहीं है, लब
ज़ख़्मी हो जाते हैं
उसके
होंठों पे कभी बददुआ नहीं होती ,
बस इक माँ है जो मुझसे कभी
खफा नहीं होती.
रुके तो चाँद जैसी हैँ…..
चले तो हवाओ जैसी हैँ…..
वो माँ ही हैँ…..
जो धुप मैँ भी छाँव जैसी हैँ….
रिश्तों में इतनी बेरुख़ी भी अच्छी नहीं हुज़ूर..
देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे..!!
वो बचपने की नींद तो अब ख़्वाब हो गई
क्या उम्र थी कि रात हुई और सो गए ।
Kanoon to Sirf Bure Logon k liye
hota hai………
Ache Log to Sharm se hi Mar jaate
hai…….
उनका कन्धा ना जाने ईश्वर ने कितना
मजबूत बनाया है,
मेरी ख्वाहिशों का बोझ उठाते हुए माँ
ने कभी उफ़ तक नहीं किया….