मेरे दराज़ में रक्खा है अब भी ख़त उसका, पुराना इश्क़, पुराना हिसाब हो जैसे…
Category: पारिवारिक शायरी
ख्वाब में आना जरूर
आज ख्वाब में आना जरूर, सिर्फ तुमसे मिलने के लिए रोज सोता हूँ|
जरुरतों ने कुचल डाला है
जरुरतों ने कुचल डाला है मासूमियत को साहब यूं.. वक्त से पहले ही बचपन रूठ गया |
हम वो ही हैं
हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब…!!! तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते है…!!
मेरी ख़्वाहिश है कि
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ… माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ|
माँ का चेहरा भी हसींन है
माँ का चेहरा भी हसींन है तस्बीह के दानो की तरहा……. मैं प्यार से देखता गया और इबादत होती गयी|
मेरी माँ ने मुझे
सोच समझकर बर्बाद करना मुझे, बहुत प्यार से पाला है मेरी माँ ने मुझे !!
माँ बाप के अलावा
आपके माँ बाप के अलावा कोई भी शख्स आपका निःस्वार्थ भला नही चहता
तेरी हर निशानी
आज भी प्यारी है मुझे तेरी हर निशानी …. फिर चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखो का पानी ….
नींद आखो में
नींद आखो में होने से तो न रात होगी, रवायत तो ये हे की ख्वाबो में उनसे मुलाकात होगी