इस नई उम्र में प्यार से हारकर
ज़िन्दगी इक अजाना सा डर हो गई!
एक व्यापार था इक लड़ाई सी थी
प्यार में प्यार का एक पल भी न था
प्रीत का जीतना एक कहानी ही है
हारने के सिवा कोई हल भी न था
जो बचा न सकी अपने किरदार भी
वो कथा ही यहाँ फिर अमर हो गई !
Category: नफ़रत शायरी
मोहब्बत के लिये
मोहब्बत के लिये अब तेरी मौजूदगी ज़रूरी नहीं यारा …….
ज़र्रे-ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है …!!
दुश्मन भी दुआ देते हैं
दुश्मन भी दुआ देते हैं मेरी फितरत ऐसी है
दोस्त भी दगा देते हैं मेरी किस्मत ऐसी है |
नफरत करनी है
नफरत करनी है तो इस कदर करो की इसके बाद हम मुहबत के काबिल न रहे|
लोग कहते हैं..
लोग कहते हैं…
नफ़रत ख़राब चीज़ है..!
तो मोहब्बत ने कौनसा झूला झुलाया है मुझे..!!
नफरत के जंगल में
नफरत के जंगल में उसको लगे मोहब्बत की तलब,
और वो प्यास के सेहरा में मांगे मुझे पानी की तरह…
दिल से ज्यादा
दिल से ज्यादा महफूज़ जगह कोई नही मगर,
सबसे ज्यादा लोग यहीं से ही लापता होते हैं।
घर की इस बार
घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा
ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है..
अगर इतनी नफरत है
अगर इतनी नफरत है मूझसे..,,तो कोई ऐसी दुआ कर की.तेरी दुआ भी पुरी हो जाए..,और मेरी जिंदगी भी ।
मै रंग हुँ
मै रंग हुँ तेरे चेहरे का….
जितना तू खुश रहेगा
उतना ही मै निखरती जाऊँगी.!!