अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया,
जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया,
जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।
ताज्जुब न कीजिएगा गर कोई दुश्मन भी आपकी खैरियत पूछ जाए..
ये वो दौर है जहाँ, हर मुलाकात में मकसद छुपे होते है
एक अच्छी माँ हर किसी के पास होती है
लेकिन एक अच्छी औलाद हर माँ के पास नहीं होती….
वो महफिल में नही खुलता है तन्हाई में खुलता है
समंदर कितना गहरा है ये गहराई में खुलता है !!
उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो
छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !
आंच ना आये नाम पर तेरे,..
ख़ाक भले मेरा जीवन हो,..
अपने जहाँ मै आग लगा लें..
तेरा जहाँन जो रौशन हो..
तेरे शहर के कारीगर भी अजीब हैं ऐ दिल….
काँच की मरम्मत करते हैं , पत्थर के औजारों से..
समझ लेता हूँ मीठे लफ्जों की कडवाहटें..
हो गया है अब जिंदगी का तजुर्बा थोडा बहुत..
सुनो…तुम रुक ही जाओ ना मेरे पास, हमेशा के लिए;
यूँ रोज़ आने-जाने में साहब, वक़्त बहुत लगता है !!
दिल मेरा उसने ये कहकर वापस कर दिया…
दुसरा दिजीए… ये तो टुटा हुआ है….!!