आग लगी थी मेरे घर को,
किसी सच्चे दोस्त ने पूछा..!
क्या बचा है ?
मैने कहा मैं बच गया हूँ..!
उसने हँस कर कहा फिर साले जला ही क्या है..
Category: दोस्ती शायरी
बहुत मासूम हसरत
बहुत मासूम हसरत है बताओ क्या किया जाए,
मुझे तुम से मोहब्बत है बताओ क्या किया जाए
मुझे भी ज़िन्दगी
मुझे भी ज़िन्दगी में तुम ज़रूरी
मत समझ लेना..
सुना है तुम ज़रूरी काम अक्सर
भूल जाते हो..
रोज हर मोड़ पर
रोज हर मोड़ पर तु मुझे मिल जाती है.
ऐ उदासी, कहीं तु भी मेरी दीवानी तो नही है.
तुम जरा हाथ
तुम जरा हाथ मेरा थाम के देखो तो सही लोग
जल जाएंगे महफ़िल में चिरोगों की तरह
भूलना भी हैं
भूलना भी हैं…जरुरी याद रखने के लिए..
पास रहना है..तो थोडा दूर होना चाहिए..
इन्सानियत की रौशनी
इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ…
साये हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ..
फ़ुटपाथ पर सोने
फ़ुटपाथ पर सोने वाले हैरान हैं आती-जाती गाड़ियों से…
कम्बख़्त जिनके पास घर हैं…वो घर क्यूँ नहीं जाते…
लाख रख दो
लाख रख दो रिश्तों की दुनिया तराजु पर…
सारे रिश्तों का वज़न बस आधा निकलेगा…
सब की चाहत एक तरफ़ हो जाए फिर भी…
माँ का प्यार नौ महीने ज्यादा निकलेगा…
जीने का सलिका
जीने का सलिका सिखा दिया तूने . . . अब आंसू भी निकलते है तो मुस्कान के साथ