मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे,
तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..
Category: दर्द शायरी
हवा दुखों की
हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह|
बहुत अजीब हैं
बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मुहब्बत की,
न उसने क़ैद में रखा न हम फ़रार हुए।
क़त्ल तो मेरा
क़त्ल तो मेरा उसकी निगाहों ने ही किया था,
पर संविधान ने उन्हें हथियार मानने से इंकार कर दिया !!
आसान नही है
आसान नही है हमसे यूँ शायरिओं में जीत पाना,
हम हर एक शब्द मोहब्बत में हार कर लिखते है।
दौड़ती भागती दुनिया का
दौड़ती भागती दुनिया का यही तोहफा है……
खूब लुटाते रहे अपनापन……फिर भी लोग खफ़ा हैं…..
दुनिया से अलग
नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो,
मैं वही हूँ, जिसे तुम दुनिया से अलग बताती थी..
जिसको जो कहना
जिसको जो कहना है कहने दो अपना क्या जाता है,
ये वक्त-वक्त कि बात है साहब, सबका वक्त आता है..
दुश्मन भी दुआ देते हैं
दुश्मन भी दुआ देते हैं मेरी फितरत ऐसी है
दोस्त भी दगा देते हैं मेरी किस्मत ऐसी है |
खामोश सा माहौल
खामोश सा माहौल और बेचैन सी
करवट है ना आँख लग रही है और
ना रात कट रही है …. !!