ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो
कुछ आदतें बुरी भी सीख लो..ऐब न हों..
तो लोग महफ़िलों में भी नहीं बुलाते…
Category: दर्द शायरी
न जाने कौन सी दौलत है
न जाने कौन सी दौलत है तेरे लफ़्ज़ों में,
बात करते हो तो दिल खरीद लेते हो!
मेरी ख़ामोशी की
मेरी ख़ामोशी की ख्वाहिश भी तुम,
मेरी मोहब्बत की रंजिश भी तुम….
जो जरा किसी ने
जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू..
कोई मुझसे ये ना पूछें मेरा दिल उदास क्यूँ है..
खतों से मीलों सफर करते थे
खतों से मीलों सफर करते थे जज़्बात कभी,
अब घंटों बातें करके भी दिल नहीं मिलते…!
कुछ हार गयी तकदिर
कुछ हार गयी तकदिर, कुछ टूट गये सपने,
कुछ गैरो ने बरबाद किया, कुछ छोड़ गये अपने…!!
हर मर्ज़ का इलाज़
हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में,
मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये|
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीँ रही..
मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करतेँ हैँ.
कह दो कोई उन्हें
कह दो कोई उन्हें कि अपना सारा वक्त दे दें मुझे,
जी नहीं भरता मेरा जरा जरा सी मुलाकातों से !
पास बैठे इंसान के लिए
पास बैठे इंसान के लिए वक्त नहीं है…!!!
दूर वाले.. आजकल नजदीक बहुत हैं…