कोशिश तो रोज़ करते हैं के वक़्त से समझौता कर लें….
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कम्बख़्त दिल के कोने में छुपी उम्मीद मानती ही नहीं…
Category: दर्द शायरी
बहुत आसान है
बहुत आसान है पहचान इसकी….,
अगर दुखता नहीं है तो “दिल” नहीं है….।
यूं तो मेरा भी
यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर
तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|
काश यह जालिम जुदाई
काश यह जालिम जुदाई न होती!
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती!
न हम उनसे मिलते न प्यार होता!
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
जुदाई की शाम आई थी
अभी अभी जो जुदाई की शाम आई थी
हमें अजीब लगा ज़िन्दगी का ढल जाना|
भूलना सीखिए जनाब….
भूलना सीखिए जनाब…..।
एक दिन दुनिया भी वही…. करने वालीहै.!!
इतने तो लम्हे भी
इतने तो लम्हे भी नही बिताये मेने तेरे संग..
जितनी रातो की निंद ले गये हो तुम छिन के..
फिर यूँ हुआ कि
फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली
पकड़कर हम..इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..
झुके थे तेरे आगे..
झुके थे तेरे आगे..बिके नहीं थे..
जो इतना गुमान कर गयी..
मेरे लिये ना सही
मेरे लिये ना सही इनके लिये आ जाओ ……..
तेरा बेपनाह इन्तजार करती हैं आँखें ….