मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे
क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए |
सभी ज़िंदगी के मज़े लूटते हैं,,,
न आया हमें ये हुनर ज़िंदगी भर…
अपने दिल से मिटा ड़ाली तेरे साथ की सारी तस्वीरें
आने लगी जो ख़ुशबू तेरे ज़िस्मों-जां से किसी और की…!!
ताश के पत्तों में दरबदर बदलते चले गए…
इश्क़ में सिमटे तो ऐसे के बिखरते चले गए…
यूँ तो दिल ने बसायी थी एक दुनिया उनके संग…
रहने को जब भी निकले उजड़ते चले गए…
वो शख़्स जो आज मुहब्बत के नाम से बौखला गया,
किसी जमाने में एक मशहूर आशिक़ हुआ करता था|
तुझे पाने की चाह में इतना कुछ खोया है…..
की अब तू मिल भी जाए तो भी अफ़सोस होगा….
हम जिसके साथ वक्त को भूल जाते थे,
वो वक्त के साथ हमको भूल गया…!!
मोहब्बत ऐसी धडकन हैं जो समझाई नही जाती….ज़ुबां पे दिल की बेचैनी कभी लाई नही जाती….
कागज कोरा ही रहने दीजिऐ
वरना बेवजह दर्द ब्यान हो जाऐगा !