मैं शब्दों से

मैं शब्दों से कहीं ज्यादा हूँ…
इक बार सृजन करके देखो मुझे…
ज़िन्दगी और ज़िन्दगानी में फ़र्क बूझ पाओगे…

कुछ तहखानों में

कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता…
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें…
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…