मैं शब्दों से कहीं ज्यादा हूँ…
इक बार सृजन करके देखो मुझे…
ज़िन्दगी और ज़िन्दगानी में फ़र्क बूझ पाओगे…
Category: दर्द शायरी
कुछ तहखानों में
कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता…
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें…
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…
हर एक दर्द को
हर एक दर्द को आंसू नहीं मिलते
गमो का भी मुक़्क़दर होता है साहेब|
अनपढ़ बन्दा हूँ
अनपढ़ बन्दा हूँ मोहतरमा,
तेरे सिवा कुछ आता ही नही…..!!
कमाल की तक़दीर
कमाल की तक़दीर पायी होगी उस शख्स ने,
जिसने तुझसे मोहब्बत भी ना की हो और तुझे पा लेगा।।
खुद ही पलट लेता हूँ …
खुद ही पलट लेता हूँ …….. किताबे जिंदगी के पन्ने,
वो लोग अब कहाँ……. जो मुझमें, मुझे तलाशते थे|
क़दम उठे भी
क़दम उठे भी नहीं बज़्म-ए-नाज़ की जानिब,,,,,
ख़याल अभी से परेशाँ है देखिए क्या हो…..!!
पत्थर न बना दे
पत्थर न बना दे मुझे मौसम की ये सख़्ती,,,,
मर जाएँ मेंरे ख़्वाब न ताबीर के डर से….!!.
सितमगर जब कोई
सितमगर जब कोई ताज़ा सितम ईजाद करते हैं,
तो बहर-ए-इम्तिहाँ पहले हमीं को याद करते हैं….!!
यादों का हिसाब
यादों का हिसाब रख रहा हूँ,
सीने में अज़ाब रख रहा हूँ……!!