उम्मीद से कम चश्मे खरीदार में आए
हम लोग ज़रा देर से बाजार में आए..
Category: दर्द शायरी
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं रफ्तार किसकी कितनी है …
सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है…!!
लिख कर बयां नही कर सकता
लिख कर बयां नही कर सकता
मैं हर गुफ़्तुगू,
कुछ था जो बस नज़रों से
नज़रों तक ही रहा..
शायराना चाहता हूँ…
आखरी हिचकी तेरे
पहलू में आये
मौत भी मैं
शायराना चाहता हूँ…
बाँटने निकला है
बाँटने निकला है वो फूलों के तोहफ़े शहर में,
इस ख़बर पर हम ने भी,
गुल-दान ख़ाली कर दिया|
ये जो तेरा होकर भी
ये जो तेरा होकर भी ना होने का अहसास है…
बस ये अधूरापन ही मुझे जीने नहीं देता|
उम्र भर ख़्वाबों की
उम्र भर ख़्वाबों की मंज़िल का सफ़र जारी रहा,
ज़िंदगी भर तजुरबों के ज़ख़्म काम आते रहे…
बस इतना ही जाना है
बस इतना ही जाना है मुझे तुमने
दूर ही रहो जितना, जेहन में उतर आऊंगा|
तुम दूर भी
तुम दूर भी हो पर लगता है यही हो
तुम कहो इश्क़ में तुम्हारा क्या हाल है|
मेरा ज़िक्र ही नहीं
मेरा ज़िक्र ही नहीं उस किताब में
जिसे ताउम्र पढता रहा हूँ मैं