अपनो की चाहतो ने दिए ऐसे फरेब..
रोते रहे लिपट कर, हर अजनबी से हम..!
Category: दर्द शायरी
दर्द हल्का है, सांसे भारी है
दर्द हल्का है, सांसे भारी है …
जिए जाने की ” रस्म ” जारी है |
क्यूँ शर्मिंदा करते हो
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर ,
हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा हैं…
अजीब था उनका अलविदा कहना
अजीब था उनका अलविदा कहना,
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं,
बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में,
की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नही
शायरी क्या है मुझे पता नहीं …
शायरी क्या है मुझे पता नहीं,
मै नग्मों की बंदिश जानता नहीं,
मै जो भी लिखता हूँ, मान लेना सब बकवास है,
जो कुछ भी हैं ये कैद इन अल्फाजों में,
बस ये मेरे कुछ दर्द और मेरे कुछ ज़ज्बात हैं.
गरूर तो मुझमे भी था!
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा।।
मगर सब टुट गया तेरे रूठने के बाद।।
तेरी जगह आज भी
तेरी जगह आज भी कोई नही ले सकता
खूबी तूजमे नही कमी मुझमें है
फूलों की तरह
हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं।
तोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं।
तनहाई से नही
तनहाई से नही …. शिकायत तो मुझे उस भीड से हैं …
जो तेरी यादो को मिटाने कि कोशिश में होती हैं …..
तेरी जगह आज भी
तेरी जगह आज भी कोई नही ले सकता
खूबी तूजमे नही कमी मुझमें है