जुबाँ न भी बोले तो,
मुश्किल नहीं…
फिक्र तब होती है जब…
खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जुबाँ न भी बोले तो,
मुश्किल नहीं…
फिक्र तब होती है जब…
खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
मेरे कातिल का पता दो आया हूँ फिर से मरने,
सुना है वो खुश नही एक बार मारकर मुझे…!!!
होंगी कुछ उनकी भी मजबूरियाँ,
यूंही कोई हमेशा ऑफलाइन नहीं होता…!!!
अक्सर सोचता हूँ देख कर तस्वीर तेरी,
जो तुझसे मोहब्बत ना होती तो क्या होती ज़िन्दगी मेरी…!!!
तुम याद भी आते हो तो चुप रहता हूं,
कि आंखो को खबर हुई तो बरस जायेगीं…..!!
तुम से कहा था ना कि…..
हम मर जायेंगे,लो मर गये, तुम पर..!!!!
अब दफ़ना लो “अपनी बाहों” में….!
तुम्हें याद हैं वो तुमसे हुई लम्बी लम्बी बातें,
या हमारे साथ साथ उन्हें भी भूला दिया…!!!
सुलझे-सुलझे बालों वाली लड़की से कोई पूछे तो,
उलझा-उलझा रहने वाला लड़का कैसा लगता है…!!!
तुझ से दूर रह कर मोहब्बत बढती जा रही है
क्या कहूँ… केसे कहूँ… ये दुरी तुझे और करीब ला रही हैँ…..!!
कट ही जाता है दिन तुम्हारे बगैर,
हाँ ज़रा रात तंग करती है…!!!