उल्फत की जंजीर

उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,

जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..

दिया है रब ने

दिया है रब ने सबकुछ तो फिर फरियाद क्या करें..
दिल हो चाहत से परेशान तो जज़बात क्या करें..
आप सोचते होगे कि आज मुझे याद नहीं किया…
जब कभी भूले ही नहीं तुम्हें तो याद क्या करें।

हसीन ख़्वाब है

ज़िन्दगी क्या है?
एक हसीन ख़्वाब है,
जिस को जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये!

तेरे बिना ये

तेरे बिना ये जिन्दगी कितनी अँधूरी हैँ,
तेरे पास ना होने कि क्या मजबूरी हैँ,

अगर तू कहेतो ये जिन्दगी गमोमे गुजार दू,
सिर्फ तेरी आवाज सुननेकी चाहत अँधूरी हैँl

कुछ इस तरह

कुछ इस तरह से हमने पूरी क़िताब पढ़ ली….
ख़ामोश बैठी रही ज़िंदगी…चाहतों ने पन्ने पलट दिए….

बातों को स्वीकार

हे भगवान,

मुझे उन बातों को स्वीकार करने का धैर्य प्रदान करो जिन्हें मैं बदल नहीं सकता हूं;
जिन चीजों को मैं बदल सकता हूं उनको बदलने का साहस दो
तथा इन दोनों में अंतर करने के लिए बुद्धि प्रदान करो।