मैं जब किसी गरीब को हँसते हुए देखता हूँ तो
यकीन आ जाता है कि खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं है..
Category: दर्द शायरी
बीतता वक़्त
बीतता वक़्त है
लेकिन,
खर्च हम हो जाते हैं ।
छोड़ा भी हमें ।
क्या खूब
मोहब्बत
की तुमने
तोड़ा भी हमें
छोड़ा भी हमें ।।।
जिंदगी उलझी पड़ी है
मैं भूला नहीं हूँ किसी को…
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ………
बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है …..
2 वक़्त की रोटी ढूंढने में। ….
समझ रहा हुँ
खामोश रहता हुँ
क्योकि अभी दुनिया को समझ रहा हुँ!
समय जरूर लुगाँ पर जिस दिन दाव
खेलुँगा उस दिन
खिलाङी भी मेरे होगे और खेल
भी मेरा !!!
ज़िन्दिगी बन जाती हैं.
दो परिंदे सोंच समझ कर जुदा हो गयें और जुदा होकर मर
गयें जानते हो क्यों? क्योंकि उन्हे नहीं मालूम था
कि नज़दीकियाँ पहले आदत फिर ज़रूरत और फिर
ज़िन्दिगी बन जाती हैं.।
रहना ज़िंदगी से
“ये इक दिन मौत से सौदा करेगी,
जरा…होशियार रहना ज़िंदगी से”..
विश्वास भी सिर्फ तुम
तुम क्या जानो
कहाँ हो तुम
मेरे दिल में
मेरी हर धड़कन में
हर निगाह
जो दूर तलाक जाती है
हर आशा
जो पूरा होना चाहती है
तुम क्या जानो
क्या हो तुम मेरे लिए
मेरी हर पल की आस
मेरा विश्वास
ज़िन्दगी की बैचेन घड़ियों में
जिन्दा रहने को
पुकारती हुई तुम
मेरे करीब….हर पल
तुम ही तुम हो
मेरे लिए ये विश्वास भी
सिर्फ तुम…
बड़ी तकात है
“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है
खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।
शायरी करोगे जनाब
मेरे दर्द का जरा सा हिस्सा लेकर देखो।
सदियो तक शायरी करोगे जनाब।