सारा दिन गुजर जाता है,
खुद को समेटने में,
फिर रात को उसकी यादों की हवा चलती है,
और हम फिर बिखर जाते है!
Category: दर्द शायरी
दाव पेंच मालूम है
सब दाव पेंच मालूम है उसको
वो बाजी जीत लेता है मेरे चालाक होने तक
याद से जाते नहीं
याद से जाते नहीं, सपने सुहाने और तुम,
लौटकर आते नहीं, गुज़रे ज़माने और तुम,
सिर्फ दो चीज़ें कि जिनको खोजती है ज़िंदगी,
गीत गाने, गुनगुनाने के बहाने और तुम..
तुम बदल जाना..
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना
मुझे पता भी न चले और तुम बदल जाना…!!
आँखों में सूरमा
आँखों में सूरमा,
चेहरे पर बुर्क़ा,
और
मेरा फटा कुर्ता.
वाह क्या बात है!
तेरा दिलकश अंदाज़
बड़ा है लाजवाब,
तेरा दिलकश अंदाज़,
और
मुझको कर दे बर्बाद.
वाह क्या बात है!
तेरी हर बात पे
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैंने
तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैंने…..
ख़ुशी के चार झोंके
अरे ओ आसमां वाले बता इसमें बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुजर जाएँ
तुझे अपना सोचकर..
तू मिले या ना मिले….. ये मेरे मुकद्दर की बात है,
“सुकून” बहुत मिलता है….. तुझे अपना सोचकर..
उनके सामने जाऊं
नही पाता सहेज खुद को क्या उनके सामने जाऊं____बड़ी मुश्किल से संभला हूँ मुझे आबाद रहने दो…!!