काश कही से

काश कही से मिल जाते वो अलफ़ाज़ हमे भी,
जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम,
तेरे आशिक ज्यादा हैं…..!!

किसी को राह

किसी को राह दिखलाई
किसी का ज़ख्म सहलाया
किसी के अश्क जब पोंछे
तब इबादत का मज़ा आया|

घड़ी की फितरत

घड़ी की फितरत भी अजीब है, हमेशा टिक-टिक
कहती है,
मगर,…. ना खुद टिकती है और ना दूसरों को
टिकने देती है !

छोटे से दिल में

छोटे से दिल में गम बहुत है,
जिन्दगी में मिले जख्म बहुत हैं,
मार ही डालती कब की ये दुनियाँ हमें,
कम्बखत दोस्तों की दुआओं में दम बहुत है